Result | रिजल्ट

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कहानी सुनें:

https://youtu.be/u3VxpAXMdlY

अगर आप कहानी सुनना पसंद नही करते या  फिर अभी सुनना नही चाहते तो आगे कहानी पढ़े|

 

कहानी पढ़ें:

शिवा बचपन से ही पढ़ने में थोड़ा कमजोर था…पर इतना भी नहीं कि वो फेल हो जाए… लेकिन वो मेहनत पूरी जोर शोर से करता। किसी तरह से उसने ग्यारहवीं कक्षा पास कर ली। बारहवीं कक्षा की पढ़ाई करने में भी उसने ईमानदारी से पूरी मेहनत की। बोर्ड की परीक्षा दी और अब… दो दिनों के बाद बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट घोषित होने वाला था।

लेकिन हर बार की तरह इस बार भी शिवा के माता पिता उसको समझने के बजाए उसे सुनाने में पीछे न रहते – “पढ़ना लिखना तो है नहीं… केवल मोबाइल में लगे रहो…अगर तुम इस साल फेल हुए तो समझना… मैं तुम्हारा क्या हाल करूँगी?” – शिवा की माँ

ने कहा

इतने में शिवा के पिता भी क्यूँ पीछे रहते… उन्होंने भी शिवा को कहना शुरू किया-

“सुन लो… कान खोल कर अगर तुम फेल हो गए तो मार-मार कर घर से बाहर निकाल दूँगा… मेरे पास नहीं है इतने पैसे तुम्हें पढ़ाने के लिए।”

शिवा जितना अपने रिजल्ट से नहीं डर रहा था उससे कही ज्यादा अपने माता-पीता के कहें शब्दों से डर रहा था। उनकी बातें सुन-सुन कर पसीने छुट जाते थे…दिल जोर-जोर से धड़कने लगता था ऐसा लगता था कि अगर इस समय रिजल्ट निकल गया और वो फेल हो गया तो हार्ट अटैक हो जाएगा।

सच पूछा जाए तो कईयों के माता-पिता रिजल्ट को हउवा बना देते है। ऐसे में बच्चे क्या करें बस डर को पालने के सिवा उनके पास कोई चारा नहीं होता। ठीक वही हालत शिवा की थी। किसी तरह दो दिन उसे निकालना था परंतु ये दो दिन भी उसे सालो निकालने के बराबर लग रहा था। शिवा के अंदर डर इतना समा गया कि मोबाइल छुने से भी डर लगता कि माँ देख लेगी तो चिल्लाने लगेगी। अगर बाहर खेलने गया तो पिताजी खरी-खोटी सुनाने लगेंगे। उसका परीक्षा से रिजल्ट आने के बीच का समय ऐसा लगता था मानों किसी बेगुनाह को गुनाह साबित हुए बिना सजा दे दी गई हो। शिवा चुपचाप अपने रूम में बैठा रहता …न किसी से बात करता ….न किसी के साथ कही जाता। जो मिलता वो खा लेता जैसे उसकी सारी इच्छा मर गई हो। धीरे धीरे समय बीतने के साथ रिजल्ट निकलने का समय भी नजदीक आ गया।



आज नेट पर रिजल्ट घोषित हो गया। शिवा का दिल जोर- जोर से धड़कने लगा। हिम्मत करके उसने मोबाइल पर किसी तरह अपना रोल नम्बर डाल कर सर्च किया… इतना करते-करते न जाने वो कितनी बार भगवान को याद किया होगा शायद उसे खुद ही नहीं मालूम। स्क्रीन पर तब तक शिवा का रिजल्ट अंकित हो गया। बड़ी मुश्किल से शिवा ने अपनी आँखें खोली…देखते ही उसके आँखों से आँसू आ गया…. मुँह से एक भी आवाज न निकली…वो वहीं बैठ गया क्योंकि… वो पास जो हो गया था। उसके माँ- बाप को भी तसल्ली मिली कि बेटा पास हो गया। शिवा ने राहत की साँस ली जैसे जज ने सजा पाते कैदी को बेगुनाह साबित कर के बरी कर दिया हो।

शिवा बहुत खुश था। एक- डेढ़ महीने के बाद उसके चेहरे पर खुशी झलकी थी। वो अपने दोस्तों से मोबाइल पर खुशी जाहिर कर रहा था लेकिन शिवा की ये खुशी शाम होते-होते तक काफूर हो गई क्योंकि जब वो फेसबुक पर अपने पास होने का पोस्ट कर रहा था तभी उसकी नजर एक पोस्ट पर गई जहाँ उसके नजदीकी दोस्त राज का पूरा रिजल्ट डला हुआ था… उसे देखते ही शिवा सकते में आ गया… रिजल्ट कुछ इस प्रकार था-

इंग्लिश–   15/100,       बिसनेस-    20/100,

एकाउंट्स-  17/100,     इक्नोमिक्स- 21/100

मैथ्स  –   02/100

इसके साथ ही कमैंट्स की बौछार थी… वाह… क्या नम्बर है तुम्हारे…कोई हँसने का… कोई मजाक उड़ाते हुए… तो कोई मरने की सलाह दे रहा था कि ऐसे नंबरों पर तो मर जाना चाहिए…तो कोई शर्मिन्दगी जाहिर करवा रहा था।

ऐसे कमैंट्स पढ़कर शिवा पर ऐसे बीत रही थी जैसे उसका रिजल्ट किसी ने फेसबुक पर पोस्ट कर दिया हो। वो भाग कर राज के घर गया किन्तु पहुँचने में बहुत देर हो गई थी। राज इस दुनिया के ताने सह न सका और मौत को गले लगा लिया। घर पर बहुत भीड़ लगी थी… उसके माँ- बाप फूट फूट कर रो रहे थे… उसके हाथ से एक पत्र भी मिला, जिसे पढ़कर सभी रोने लगे। वो पत्र शिवा ने भी लिया पढ़ने के लिए जो इस प्रकार लिखा था-

 

आदरणीय पापा व माँ,

मुझे माफ कर दो। मैं आपकी आशा पर खड़ा न उतर सका। मैं फेल हो गया पापा…किन्तु सच कहता हूँ मैं ने बहुत मेहनत की थी परन्तु क्या करूँ माँ मुझे याद ही नहीं होता था। जितना पढ़ता उतना मैं भूल जाता। मेरे दोस्तों ने मेरा मजाक बना कर रख दिया। उन्होंने मेरा चुपचाप रिजल्ट सर्च कर फेसबुक पर टैग कर के पोस्ट कर दिया… उन्होंने थोड़ा भी मेरे बारे में नहीं सोचा कि मेरे ऊपर क्या बीतेगी…मैं वैसे ही बहुत शर्मिंदा था ऊपर से दोस्तों का मजाक मेरे लिए काल बन गया। मुझे माफ कर दो माँ… मैं किसी को मुँह दिखाने लायक न रहा इसलिए मैं जा रहा हूँ इस दुनिया से…जहाँ मेरा रिजल्ट पूछने वाला कोई नहीं होगा।

आपका

राज

 

पढ़ते-पढ़ते शिवा का  दिल भर आया। वो मन ही मन बुदबुदाने लगा कि “राज तुम इस दुनिया में अकेले नहीं हो… पता नहीं इस समाज में… इस दुनिया में ऐसे कितने राज होंगे जो आज रिजल्ट निकलने के बाद अपने माँ- बाप के डांट व मार के डर से …या समाज में शर्मिंदा होने से …या फिर अपने दोस्तों के द्वारा किये मजाक के कारण असमय ही मौत को अपने गले लगा लेते हैं। ऐसे दोस्त किस काम के जो दोस्तों की जिंदगी से खेले…मुझे माफ कर दो राज समय रहते मैं तुम्हें बचा न सका। सच बताऊँ राज…इस बार मैं ने भी अपने लिए यही रास्ता चुना था अगर पास न होता।”

आज राज के माँ – बाप को फूट- फूट कर रोते देख शिवा का मन पसीज गया… वो बार- बार यही कहे जा रहे थे कि-

“राज अपने माँ-बाप को अकेला क्यूँ छोड़ गए। एक बार तो कहते अपनी समस्या… फिर तो हमें तुम्हारी समस्या समझ में आती… मुझे माफ कर दो राज…हम तुम्हें समझ नहीं पाए…”

शिवा सोचने को मजबूर हो गया कि कोई भी माँ-बाप अपने बच्चों के लिए दिल से बुरे नहीं होते हैं बस वो अपने बच्चों के भविष्य के प्रति इतने ज्यादा सचेत हो जाते है कि अनजाने में सख्तियां बढ़ जाती हैं जिसका परिणाम हमेशा ही घातक होता है।

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