Kunwari Bahu | कुवांरी बहु

बारात आ गई…अरे भाई, बारात आ गई…

“शिल्पा तैयार है न…?”- कई लोगों का स्वर एक साथ उभरा।

“जी हाँ… बिलकुल तैयार है…”- दूसरी तरफ से भी अनेकों आवाज एक साथ आई।

घर का पूरा माहौल खुशियों से भरा हुआ था …सभी अपने -अपने ढंग से सोचकर प्रसन्न हो रहे थे…कोई साला बनने पर तो कोई ससुर होने पर… कोई सास तो कोई साली…इसी तरह सभी एक नया सम्बन्ध जुड़ जाने पर अपनी-अपनी खुशी अपने-अपने तरीके से अभिव्यक्त करने में लगे हुए थे।

शिल्पा आज परायी होने जा रही थी… इसके साथ ही एक अन्य घर की लक्ष्मी स्वरूप बहू ।

“शिल्पा… शिल्पा, बारात आ गई…देख तो हमारे जीजाजी कैसे हैं…?”- कुछ सखियों ने छेड़ते हुए

“धत्त !”- शिल्पा शर्मा गई परन्तु शर्माते हुए भी दिल के एक कोने में अपने होने वाले पति तुषार को देखने की चाह ने शिल्पा को खिड़की तक आने पर विवश कर दिया… शिल्पा ने शर्मायी नजरों से देखा तो ठगी सी रह गई… कद-काठी ऐसी कि देखने वाला उसे देखता ही रह जाए और गोराई इतनी कि कोई गाल पर अँगुलीभी लगा दे तो लाल हो जाए…ऐसा सुंदर जीवन साथी पाकर वो अपने भाग्य से ईर्ष्या कर बैठी।

शिल्पा तरह-तरह के सपने मन में संजोती हुई…शादी की सभी रस्में बड़ों के बताए अनुसार पूरी करने में लग गई। जब विदा हो कर अपने ससुराल आई तब मन में एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ डर। खुशी तो इस बात की थी,कि उसे भी कोई अपना हमदर्द…अच्छा…सच्चा जीवन साथी के रूप में मित्र मिल गया था और डर इस बात का, कि न जाने सास- ससुर का स्वभाव कैसा होगा… देवर… ननद मुझसे किस तरह का व्यवहार करेंगे… पता नहीं घर का माहौल मेरे अनुसार होगा कि नहीं… इसी उधेड़ बुन व डर के साथ शिल्पा का सारा दिन कब और कैसे गुजर गया पता ही नही चला।

परन्तु, हुआ इसका उल्टा…शायद उसके तकदीर में कुछ और ही लिखा था। आज वो दिन भी आ गया… जिसके लिए शिल्पा को न जानें कितने वर्षों इंतजार करना पड़ा होगा…”वो थी सुहागरात”।



शिल्पा को तैयार कर के लाया गया… जैसे ही उस कमरे में शिल्पा ने कदम रखा वैसे ही एक तेज झोंक आया और उसे अन्दर तक पुल्कित करता हुआ चला गया… किन्तु वो आने वाले वक़्त से बिल्कुल अनजान थी। उसे तो आने वाले तूफान का जरा भी अंदाजा न था। चारो तरफ फूल ही फूल बिखरे हुए थे…कमरे के बीचोंबीच डबल बेड था… जिसे बड़ी खूबसूरती के साथ सजाया गया था।अभी अपना पूरा कमरा अच्छी तरह से देख भी न पाई थी कि आहट हुई…”खट……….”

शिल्पा शर्मोहया के साथ सिमटकर बैठ गई…उसने देखा कि तुषार दरवाजा बंद कर उसी की तरफ चला आ रहा है।

“शिल्पा…आज तो तुम पूरे दिन रस्मों को पूरा करते-करते थक गई होगी”- तुषार ने धीमे स्वर में कहा।

“हम्म….”-शिल्पा धीरे से सिर हिलाते हुए।

“मैं तुम्हें कैसा लगता हूँ…”-तुषार बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए।

“बहुत अच्छे…”-थोड़ा शर्माते हुए शिल्पा ने कहा।

“परन्तु….”- तुषार आगे कुछ बोल पता कि शिल्पा बीच में बोल पड़ी-

“परन्तु क्या..? क्या, मैं आपको अच्छी नहीं लगती”

“नहीं… ऐसी बात नहीं है… मैं…तु…म…से कुछ कहना चाहता हूँ…”- वातानुकूलित कमरा होने के बावजूद भी तुषार के माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई।

“क्या बात है…?मुझसे यूँ अनबूझ पहेली न बूझिये…”- शिल्पा घबराहट को छुपाते हुए।

“शि…ल्पा, मैं तु…म्हें शायद कभी भी पत्नी का दर्जा नहीं दे पाऊँगा… क्योंकि मैं एक लड़की से प्यार करता था…लेकिन घरवालों ने जबर्दस्ती मेरी शादी तुम्हारे साथ करवा दी… अब तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ…?”- एक ही साँस में तुषार ने सारा वाक्या कह सुनाया।

“लेकिन क्यों…?”- धीमे स्वर से शिल्पा ने प्रश्न किया।

“वो दूसरे जाति की थी…गरीब थी…और क्या-क्या बताऊँ उसके बारे में… बस यूँ समझ लो,कि मेरी जीने की इच्छा भी उसी के साथ खत्म हो गई…इसलिए आज से…मेरे और तुम्हारे रास्ते अलग-अलग होंगे…”-तुषार सर को नीचे झुकाए ऐसे कह रहा था मानो कोई मुजरिम जज के सामने अपनी सजा खुद तय कर रहा हो।

यह सुनते ही शिल्पा अपनी अन्तरात्मा तक हिल गई… उसके सपनों का महल चकनाचूर हो गया…फिर भी शिल्पा ने थोड़ी शक्ति बटोरते हुए कहा-

“ठीक है… आप जैसा चाहेंगे वैसा ही होगा परन्तु मेरी भी एक शर्त है…”

“क्या..!”- तुषार ने आश्चर्य से पूछा।

“इस कमरे में हम अजनबी बनकर रहेगे किन्तु दुनिया और घरवालों के सामने हमें पति-पत्नी का अभिनय करना होगा…”-शिल्पा ने कहा।

“मुझे स्वीकार है…एक काम करो…तुम यहाँ सो जाओ…”- तुषार कहते हुए बिस्तर लेकर बालकोनी की तरफ चल दिया।

शिल्पा औंधे मुँह बिस्तर पर गिर पड़ी…जैसे “बिन शाख के पत्ते…”और अपने दुर्भाग्य पर फूट-फूट कर रो पड़ी…रोते- रोते न जाने उसे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

ट्रिंग… ट्रिंग…. ट्रिंग…. अलार्म बज उठा।शिल्पा हड़बड़ा कर उठ बैठी।घड़ी की तरफ देख एक ठण्डी लम्बी सांस भर कर कुछ समय के लिए फिर लेट गई क्योंकि अभी प्रातः के 4:30 ही बजे थे।

“ओह… शादी में कितनी थकान आ जाती है।मन करता है कि सारा दिन सोती रहूं…लेकिन मजबूरी है… उठना ही पड़ेगा…”-शिल्पा मन ही मन बुदबुदाते हुए बिस्तर से उठ खड़ी हुई।

नहा- धो कर जैसे ही शिल्पा निकली,कि घड़ी पर नजर पड़ने के साथ ही दिल जोर से धड़क उठा… सुबह के 6:30 बज चुके थे और अभी तक तुषार बालकोनी में ही सो रहा था। जल्दी से तैयार हो कर शिल्पा बालकोनी की तरफ भागी।

“उठो… जल्दी से अन्दर जाकर बेड पर सो जाओ…कहीं कोई आ न जाये…सुबह के 6:30बज चुके हैं…”- शिल्पा ने घबराते हुए।

“ठीक है… तुम जाओ… मैं चला जाऊँगा…”-तुषार ने चादर हटाते हुए कहा।

“मैं जा रही हूं…”-शिल्पा दर्द का तूफान,अपने दिल में दबाए सीधे अपने कमरे से बाहर निकल गई। पर ये क्या?…सास कमरे के बाहर खड़ी थी मानो अपनी बहू के बाहर आने का ही इंतजार कर रही हो। शिल्पा का जोर-जोर से दिल धड़कने लगा।वो इसलिए कि कहीं माँ ने उनकी बातें तो नहीं सुन ली…इसी सोच मात्र से शिल्पा का चेहरा पीला पड़ गया।तभी उसकी सास की मधुर आवाज उसके कानों में पड़ी-

“बड़ी जल्दी नहा धोकर तैयार हो गई बेटी…”

“हाँ माँ…”- शिल्पा कहते हुए सास के पैरों की तरफ झुक गई।

“जीती रहो…सदा सुहागन रहो…”- सास ने कहा।

“माँ… आज से आपकी सारी जिम्मेदारियां मेरे ऊपर… अब आप आराम कीजिए…घर मैं संभालूंगी”- शिल्पा ने बड़े विश्वास के साथ कहा।

“हाँ बेटा…अब तो ये ही तेरा घर- संसार है…इसकी जिम्मेदारियां तो तुझे सम्भालनी ही है लेकिन इसे सम्भालने से पहले थोड़े दिन हँस – खेल ले”- सास ने मुस्कुरा कर बहु से चुटकी लेते हुए।

( मन ही मन बड़बड़ाते हुए शिल्पा ,’हुं… किसके साथ हँस- खेल लूँ… ये तो रिश्ते अब नाम के रह जाएंगे’)

“क्या सोचने लगी बहु…”- सास बहू को मौन देख कर।

“कुछ नहीं माँ…”-शिल्पा शर्माने का अभिनय करते हुए रसोईघर की तरफ बढ़ गई।

इसी तरह समय साल दर साल गुजरता गया किन्तु आज तक शिल्पा ने अपने चेहरे पर शिकन आने न दी और न ही किसी से कोई शिकायत थी।

“ब…हु देख तो तुझसे कोई मिलने आया है”- सास ने आवाज देते हुए।

“अरे अंजली तुम…इस शहर में…आओ- आओ… तुम्हें कैसे मालूम हुआ कि मेरा ससुराल इस शहर में है”- शिल्पा आश्चर्य व्यक्त करते हुए।

“तुम्हारे घर गई थी, तभी पता चला”-अंजली ने कहा।

“आओ ना… बैठो… यह मेरा कमरा है”- शिल्पा कमरे को निहारते हुए।

“बहुत सुंदर ढंग से सजा है यार… क्या,ये जीजाजी  की तस्वीर है…?”-अंजली ने उत्सुकता से पूछा।

जानिए इस कहानी के अगले भाग में क्या शिल्पा को तुषार अपनाएगा…?

कहीं अंजली तो नहीं… तुषार का पहला प्यार…?

क्या शिल्पा अपने स्त्रीत्व को पाने के लिए तुषार से विद्रोह कर पाएगी…?

क्या शिल्पा की सास को तुषार व शिल्पा के रिश्तों का पता चल पाएगा…?

इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए अगले हफ्ते ‘कुँवारी बहु भाग-2 ‘ मे पढ़े।

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